बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 मनोविज्ञान - सरब प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं?
2. पद विश्लेषण के उद्देश्यों पर प्रकाश डालिये।
3. पद विश्लेषण की प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
उत्तर -
(Meaning and Definition of Item Analysis)
परीक्षण निर्माणकर्ता जब परीक्षण का निर्माण कर लेता है तो वह परीक्षण के पदों के सम्बन्ध में सांख्यिकीय विश्लेषण करके यह निर्धारित करता है कि अमुक पद परीक्षण में रखने के योग्य है या नहीं। सांख्यिकीय विश्लेषण की यह प्रक्रिया पद विश्लेषण (Item Analysis) कहलाती है। पद विश्लेषण की परिभाषा भिन्न-भिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न रूपों में दी है, इनमें से कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्नलिखित हैं-
" संकुचित अर्थ में पद विश्लेषण से तात्पर्य उस मूल्यांकन से है जिससे यह पता चलता है कि प्रत्येक पद कितनी प्रभावशीलता के साथ परीक्षण की सम्पूर्ण वैधता में योगदान देता है।" "In a narrow sense, the term item analysis is used specially for an assessment of how effectively each individual item contributes to the overall validity of the test.” - ए. एस. रेबर (A. S. Reber, 1987)
"व्यापक रूप से पद विश्लेषण का तात्पर्य किसी पद विशिष्टता या कठिनता, अस्पष्टता स्तर, समय सीमा आदि के निर्धारण से है।" "More generally, item analysis refers to the determination of any item characteristic, such as difficulty level, ambiguity, time limit etc." - जे.बी. चैपलिन (J. B. Chaplin, 1975)
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह स्पष्ट है कि पद विश्लेषण वह प्रक्रिया है जिससे प्रत्येक पद की प्रभावशीलता (Effectiveness) का अध्ययन किया जाता है। परीक्षण के प्रत्येक पद की विश्वसनीयता, वैधता तथा प्रभावशीलता ज्ञात करने के लिए एक सांख्यिकीय विश्लेषण किया जाता है। इस विश्लेषण से यह ज्ञात हो जाता है कि परीक्षण का कौन-सा पद प्रभावशाली है तथा कौन-सा पद बेकार है।
(Purposes of Item Analysis)
पद विश्लेषण के उद्देश्यों का वर्णन करते हुए मरफी एवं डेविडशोफर (Murphy and Davidshofer, 1988) ने पद विश्लेषण के निम्नलिखित उद्देश्य बताये हैं-
1. पद विश्लेषण का एक प्रमुख उद्देश्य परीक्षण के प्रत्येक पद का कठिनाई स्तर ज्ञात करना है। कठिनाई स्तर ज्ञात करने का उद्देश्य प्रायः परीक्षणों में पदों को सरलतम से कठिनतम के क्रम में रखना है।
2. पद विश्लेषण का एक अन्य प्रमुख उद्देश्य प्रत्येक पद की विभेदन क्षमता को ज्ञात करना होता है। विभेदन शक्ति से तात्पर्य यह है कि एक प्रश्न या पद अच्छे या कमजोर विद्यार्थी के मध्य किस प्रकार विभेद करता है। विभेदन क्षमता को पद वैधता (Item validity) भी कहते हैं।
3. पद विश्लेषण से यह भी ज्ञात होता है कि एक पद विशेष ठीक ढंग से कार्य क्यों नहीं कर रहा है अथवा उसमें क्या त्रुटि है। दूसरे शब्दों में पद विश्लेषण के द्वारा किसी पद में परिमार्जन की आवश्यकता का पता चल जाता है।
4. पद विश्लेषण का एक अन्य उद्देश्य आसेधक विश्लेषण (Distractor Analysis) भी है। आसेधक विश्लेषण से तात्पर्य यह है कि एक परीक्षण के प्रत्येक पद के प्रति उत्तरदाताओं (Respondents) का सम्पूर्ण प्रतिरूप (Total pattern) क्या है।
(Process of Item Analysis)
मरफी और डेविडशोफर (Murphy and Davidshofer, 1988) का मानना है कि पद विश्लेषण एक जटिल प्रक्रिया है। इन विद्वानों के अनुसार पद विश्लेषण की प्रक्रिया के तीन चरण होते हैं -
1. आसेधक विश्लेषण (Distractor Analysis) - पद विश्लेषण के पहले चरण में आसेधक विश्लेषण किया जाता है। इसमें, बहुविकल्पीय प्रकार के प्रश्नों में एक प्रश्न के अनेक उत्तरों में एक उत्तर सही होता है और शेष उत्तर गलत होते हैं। आसेधक विश्लेषण के आधार पर पूर्ण पद या उत्तम पद (Perfect item) की पहचान की जाती है। एक पद उत्तम या पूर्ण तभी होता है जब सभी आसेधकों के मध्य गलत उत्तर के प्रतिशत का वितरण समान होता है। आसेधक दो प्रकार के होते हैं प्रचलित आसेधक (Popular distractor) तथा अप्रचलित आसेधक (Unpopular distractor)। आसेधक विश्लेषण की आवश्यकता उन परीक्षणों में पड़ती है जिनमें उत्तर बहुविकल्पीय होते हैं।
2. पद कठिनता (Item Difficulty) - पद कठिनता या पद की कठिनाई स्तर को स्पष्ट करते हुए जे. बी. चैपलिन (J. B. Chaplin, 1975) ने लिखा है. -
"पद कठिनता का अर्थ एक परीक्षण के पद का वह कठिनाई स्तर है जिसका मापन उस पद पर सफलता या विफलता की आवृत्ति द्वारा होता है।' "Item difficulty is the difficulty level of test item as measured by the frequency with which the item is passed or failed." - जे. बी. चैपलिन (J. B. Chaplin, 1975)
" पद्म की कठिनता की परिभाषा उसे शुद्ध रूप से हल करने वाले व्यक्तियों के प्रतिशत के आधार पर दी जा सकती है।' "The difficulty of an item can be defined in terms of the percentage of persons who answer it correctly." - ए. एनास्तासी (A. Anastasi, 1988)
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर स्पष्ट है कि एक पद का सही उत्तर जितने अधिक लोग देते हैं, उत्तर उतना ही सरल तथा उसका कठिनतम स्तर उतना ही कम होता है तथा जितने कम लोग सही उत्तर देते हैं उसका कठिनतम स्तर उतना ही अधिक होता है। पद कठिनता स्तर ज्ञात करने के लिए प्रायः निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जाता है-
(i) 27% उच्च तथा 27% निम्न समूह के सही प्रत्युत्तर की विधि।
(ii) हार्पर का फैसीलिटी इण्डेक्स (Harper's Facility Index)।
(iii) सामान्य वक्र की सिग्मा दूरी कठिनाई स्तर की गणना।
3. पद विभेदन शक्ति (Discrimination Power of Item) - पंद विभेदन शक्ति या मूल्य को पद वैधता भी कहा जाता है। पद विभेदन शक्ति का अर्थ यह है कि एक प्रश्न अच्छे और कमजोर छात्र के मध्य किंस सीमा तक अन्तर करता है। किसी परीक्षण के पद विभेदन की क्षमता या पद वैधता की गणना से यह ज्ञात होता है कि एक प्रश्न अच्छे छात्र और कमजोर छात्र में किस सीमा तक विभेद कर रहा है। पद विभेदन को परिभाषित करते हुए एल. आर. गे (L. R. Gay, 1980) ने लिखा है -
"विभेदन शक्ति का तात्पर्य उस क्षमता से है जिसके द्वारा वह किसी परीक्षण पर उच्च तथा निम्न उपलब्धि प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के बीच अन्तर करता है।" "Discrimination Power (D.P.) refers to the degree to which an item discriminates between high and low activers on the test." - एल. आर. गे (L. R. Gay, 1980)
पद विभेदन क्षमता को ज्ञात करने के लिये अनेक विधियाँ चलन में हैं, परन्तु प्रायः निम्नलिखित विधियों का प्रयोग अधिकांशतः किया जाता है : -
(i) जानसन की विभेद सूचकांक विधि (Johnson's Discrimination Index Method) (ii) द्वितीयक सहसम्बन्ध विधि (Biserial Correlation Method)
(iii) सायमण्ड विधि (Symond Method)
(iv) फ्लानगन प्रोडक्ट मोमेण्ट गुणांक विधि ( Flangan's Product Moment Coefficient Method)
(v) स्टेनले 27% उच्च 27% निम्न समूह विधि (Stanley 27% Upper and 27% Lower Group Method)
(vi) डेविस विभेदकारी सूचकांक (Davis Discrimination Index)
(vii) कैली विधि (Kelly Method)।
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- प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मापनी से आपका क्या तात्पर्य है? मापनी की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- मापन का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।'
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन को स्पष्ट करते हुए मापन के गुणों का उल्लेख कीजिए तथा मनोवैज्ञानिक मापन एवं भौतिक मापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक मापन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मापन की जीवन में नितान्त आवश्यकता है, इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- मापन के महत्व पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- मनोविज्ञान को विज्ञान के रूप में कैसे परिभाषित कर सकते है? स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
- प्रश्न- अवलोकन का महत्व बताइए।
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
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- प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों तथा उपयोग की विवेचना कीजिये।
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- प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोष तथा उपयोग की विवेचना करें।
- प्रश्न- चतुर्थांक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसके गुण-दोषों की व्याख्या करें।
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- प्रश्न- आवृत्ति बहुभुज के अर्थ को स्पष्ट करते हुए रेखाचित्र की सहायता से इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- मध्यांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- विचलनशीलता का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- प्रसार से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्रसरण से आप क्या समझते हैं?
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- प्रश्न- तोरण वक्र और संचयी आवृत्ति वक्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्तम्भाकृति (Histogram) और स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्तम्भ रेखाचित्र (Bar Diagram) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के मध्यांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित व्यवस्थित प्राप्तांकों के बहुलांक की गणना कीजिए।
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- प्रश्न- निम्न आँकड़ों से माध्यिका ज्ञात कीजिए :
- प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों का मध्यमान ज्ञात कीजिए :
- प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
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- प्रश्न- सामान्य संभाव्यता वक्र की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
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- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- काई वर्ग परीक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
- प्रश्न- जब ED2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
- प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
- प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? परीक्षण की विशेषताओं एवं प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण रचना के सामान्य सिद्धान्तों, विशेषताओं तथा चरणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता से आप क्या समझते हैं? विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- किसी परीक्षण की वैधता से आप क्या समझते हैं? वैधता ज्ञात करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पद विश्लेषण से आप क्या समझते हैं? पद विश्लेषण के क्या उद्देश्य हैं? इसकी प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- किसी परीक्षण की विश्वसनीयता किन रूपों में मापी जाती है? विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "किसी कसौटी के साथ परीक्षण का सहसम्बन्ध ही वैधता है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मानकीकरण से आप क्या समझते हैं? इनकी क्या विशेषतायें हैं? मानकीकरण की प्रक्रिया विधि की विवेचना कीजिये।
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- प्रश्न- परीक्षण के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पद विश्लेषण की समस्याएँ बताइये।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
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- प्रश्न- बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेक्सलर बुद्धि मापनी का सविस्तार वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- कैटेल द्वारा प्रतिपादित सांस्कृतिक मुक्त परीक्षण की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- वेक्सलर मापनी की मूल्यांकित व्याख्या कीजिए।
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला
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- प्रश्न- प्रक्षेपण विधियाँ क्या हैं? यह किस प्रकार व्यक्तित्व माप में सहायक हैं?
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- प्रश्न- व्यक्तित्व मापन में किन-किन विधियों का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है?
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- उत्तरमाला